परीक्षा का भय पर निबंध: परीक्षा एक ऐसा शब्द है जिसका सामना कोई करना चाहता है। लेकिन चाहे किसी की इच्छा हो या न हो, किसी व्यक्ति की काबिलियत जांचने के एक मात्र जरिया परीक्षा ही है।
परीक्षा, जिसका सामना विद्यार्थी सबसे ज्यादा करते हैं। यदि विद्यार्थी स्कूल में है तो पहले त्रैमासिक परीक्षा फिर अर्धवार्षिक परीक्षा और अंत मे वार्षिक परीक्षा देता है।
परीक्षा का भय पर निबंध – Essay fear of exam in Hindi
वही बीच मे टेस्ट आदि मिलाकर साल भर 4-5 परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है। इस दौरान छात्रों के अंदर कई तरह की भावनाएं भी जन्म लेती है।
जिनमे से सबसे ज्यादा डर की भावना होती है। खैर यदि कोई यह कहता है कि उसे परीक्षा से किसी भी तरह का भय नही लगता है तो यह कह सकते हैं कि वह झूठ बोल रहा है।
क्योंकि परीक्षा का भय सभी को होता है। फिर वह चाहे वह बहुत पढ़ने वाला मेधावी विद्यार्थी हो या कोई कमजोर विद्यार्थी।
लेकिन दिक्कत भय से नही है। परीक्षा का भय होना जरूरी भी है, क्योंकि भय की वजह से हमारे अंदर से प्रेरणा आती है, और हम उस भय से निपटने के लिए अच्छी तैयारी करते हैं।
लेकिन यह भय तब मुसीबत बन जाता है, जब यह विद्यार्थी को सकारात्मक परिणाम देने की जगह पर नकारात्मक परिणाम देने लगता है। ऐसे में वह विद्यार्थी भय के कारण अपनी पढ़ाई पर सही तरह से केंद्रित नही हो पाता है।
भय की वजह से जब उसका मन पढ़ाई में नही लग पाता तो वह और भी ज्यादा भय से ग्रसित हो जाता है। धीरे धीरे यह भय इतना ज्यादा हावी हो जाता है कि जो बनता था, वह भी भूलने लगता है।
लेकिन परीक्षा में सफल होना है तो आपको इस भय से उबरना ही पड़ेगा। आजकल कई ऐसे कॉउंसलर है जो स्टूडेंट्स की इस समस्या से उबरने में मदद कर सकते हैं।
लेकिन इस दौरान परिवार का भी काफी अहम योगदान रहता है। परीक्षा का भय एक मानसिक स्थिति है, जो कि इस वजह से उत्पन्न होती है, जब स्टूडेंट्स को लगता है कि इसमें असफलता के बाद वो बड़ी मुसीबत में आ जायेगा।
लेकिन परिवार के लोगो को ऐसे वक्त में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि स्टूडेंट्स के ऊपर पढ़ाई और उम्मीद का अतिरिक्त बोझ न डालें।
उन्हें इस बात का यकीन दिलाएं कि परीक्षा सिर्फ एक परीक्षा है। यह पूरी जीवन स्थिति को निर्धारित नही करती है। इसको बस एक परीक्षा की तरह दें। यदि इसमे असफल भी हो गए, तो दोबारा मौका भी होता है, जिसमे आप परीक्षा पास कर सकते हैं।
लेकिन कभी भी परीक्षा के भय को बच्चो के ऊपर हावी न होने दें। कई बच्चे परीक्षा से इस कदर भयभीत हो जाते हैं कि वह आत्महत्या तक करने की सोच लेते हैं।
इसलिए बच्चो से परीक्षा के दौरान हमेशा बात करते रहना चाहिए। उनके मन मे क्या चल रहा है यह जानने की कोशिश करनी चाहिए।
परीक्षा के दौरान कई बच्चो में काफी ज्यादा पढ़ाई करने की धुन सवार हो जाती है। लेकिन यहां एक बात जरूर ध्यान रखें कि दिमाग को थोड़ा राहत दें। यदि भय मन मे आ रहा है तो किसी से बात करें।
थोड़ी देर के लिए कोई स्पोर्ट खेल लें या अपना कोई पसंदीदा सीरियल देख लें। इससे आपका दिमाग उस बारे से सोचना बंद कर देगा और जब आप दोबारा पढ़ाई करने बैठेंगे तो मन मे भय की जगह ऊर्जा रहेगी।