नमस्कार दोस्तो इस आर्टिकल में आज हम Desh Bhakti Kavita in Hindi लेकर आये हैं। दोस्तो आपको यह Patriotic देशभक्ति कविताएं जो देशप्रेम को बढ़ाती हैं बहुत पसंद आयेंगी। इन कविताओं हम आप सभी ने बचपन में अपने स्कूल आदि में जरूर पढ़ा होगा और गाया भी होगा। यह कविताएं प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखी गयी हैं।
Desh Bhakti Kavita in Hindi, Jaha Daal Daal Par
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा
अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले
जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा
जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा
– राजेंद्र किशन
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Desh Bhakti Poem in Hindi, Saare Jahan Se Achha..
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान हमारा
हम बुलबुलें हैं उसकी
वो गुलसिताँ हमारा।
परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा
वो पासबाँ हमारा।
गोदी में खेलती हैं
जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से
रश्क-ए-जिनाँ हमारा।
मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है
हिंदुस्तान हमारा।
– मुहम्मद इक़बाल
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देश भक्ति पर छोटी कविता, होंगे कामयाब….
होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।
होगी शांति चारों ओर, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
होगी शांति चारों ओर एक दिन।
नहीं डर किसी का आज एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज एक दिन।
– गिरिजा कुमार माथुर
देश भक्ति पर आधारित कविता, विपदाओं से रक्षा करो
विपदाओं से रक्षा करो – यह न मेरी प्रार्थना,
यह करो : विपद् में न हो भय।
दुख से व्यथित मन को मेरे
भले न हो सांत्वना,
यह करो : दुख पर मिले विजय।
मिल सके न यदि सहारा,
अपना बल न करे किनारा;-
क्षति ही क्षति मिले जगत् में
मिले केवल वंचना,
मन में जगत् में न लगे क्षय।
करो तुम्हीं त्राण मेरा-
यह न मेरी प्रार्थना,
तरण शक्ति रहे अनामय।
भार भले कम न करो,
भले न दो सांत्वना,
यह करो : ढो सकूँ भार-वय।
सिर नवाकर झेलूँगा सुख,
पहचानूँगा तुम्हारा मुख,
मगर दुख-निशा में सारा
जग करे जब वंचना,
यह करो : तुममें न हो संशय।
–रबिन्द्रनाथ टैगोर–
Patriotic Poem in Hindi, हरी भरी धरती हो
हरी भरी धरती हो
नीला आसमान रहे
फहराता तिरँगा,
चाँद तारों के समान रहे।
त्याग शूर वीरता
महानता का मंत्र है
मेरा यह देश
एक अभिनव गणतंत्र है
शांति अमन चैन रहे,
खुशहाली छाये
बच्चों को बूढों को
सबको हर्षाये
हम सबके चेहरो पर
फैली मुस्कान रहे
फहराता तिरँगा चाँद
तारों के समान रहे।
– कमलेश कुमार दीवान