भारतीय संविधान जो कि 26 नवम्बर 1949 को बन कर तैयार हुआ था, 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है, जिसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग, 12 अनुसूचीयाँ है।
भारतीय संविधान में सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं, इसके साथ-साथ सरकार और प्रशासनिक अंगों को किस प्रकार नियम के तहत कार्य करने है वह भी भारतीय संविधान में दिया गया है।
भारत के संविधान के कौन सा अनुछेद अपने राज्यों के पंचायती राज के प्रारम्भ करने के निर्देश देते है?
भारत में स्थानीय स्वशासन प्रणाली प्रचीन काल से ही विद्यमान है।1880-1882 मे लार्ड रिपन (Lord Ripon) ने स्थानीय स्वशासन पद्धति को भारत में प्रारम्भ किया था। यह काल पंचायती राज् स्वर्ण काल माना जाता है।
आजादी के पश्चात पंचायत पर सुझाव देने के लिए बलवंत राय मेहता कि अध्यक्षता में एक समिति के गठन किया गया था।
बलवंत राय मेहता समिति की सिफरिशो के आधार पर राजस्थान के विधान मंडल ने पंचायती अधिनियम पहली बार भारत में पारित किया गया। जिसके आधार पर 2 अक्टूबर 1959 को राज्स्थान के नागौर जिले के बगदरी गांव में स्वतन्त्र भारत के प्रथम पंचायती राज्य की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। इसके पश्चात 11 अक्टूबर 1959 को आँन्ध्र प्रदेश में भी पंचायती राज्य का गठन किया गया।
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7वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1992 में संसद के द्वारा पारित हुआ था। संशोधन में भारतीय संविधान के भाग 9 के अनुच्छेद 243 को सम्मिलित करके भारत में पंचायती राज संस्थाओं का संवैधानिक दर्जा दिया गया है। यह अधिनियम 24 अप्रैल 1993 का लागू हुआ था। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रवधान को जोड़ लिया गया था।
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पंचायती राज्य की व्यवस्था भारत की लोकतंत्र के मजबूत करने की दिशा में एक बहुत ही सरहनीय कदम है।
इस कदम से हर गांव/जिले के एक अपना मुख्यमंत्री की तरह है प्रतिनिधि करने वाला होगा जो उनके सभी समस्या के समधान के लिए कार्य भी करेगा तथा जिस समस्या का समाधान उससे नहीं होगा तब उन सभी समस्याओं को वो अपने से ऊपर औह्दे पर बैठे लोगो को भेजेगा जो उस समस्या के सही तरीके से तथा सही समय पर उसको हल कर सके।
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