Dhanteras Puja Vidhi in Hindi Language: आपको धनतेरस कब है ( Dhanteras Kab Hai), धनतेरस 2020 की तिथि (Dhanteras 2020 Date in India ) , धनतेरस का शुभ मुहूर्त (Dhanteras Puja Muhurat 2020), धनतेरस का महत्व (Dhanteras Importance), दिवाली की पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi in Hindi ) के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे…
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इस कारण इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार दिवाली से 2 दिन पहले आता है। दिवाली से पहले धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ-साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है। धनतेरस पर भगवान यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो धनतेरस के दिन दीपदान करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। आइये जानते है धनतेरस व्रत कथा एवं पूजा विधि–
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धनतेरस कब है 2020 में – Dhanteras 2020 Date in India
धनतेरस का त्यौहार 2019 (Dhanteras 2019 Date ) शुक्रवार, 13 नवम्बर 2020 (Friday, 13 November 2020) को सम्पूरण भारत में मनाया जायेगा। धनतेरस पूजन मुर्हुत 2020 में (Dhanteras Puja Muhurat 2020 ) में शाम 07:08 बजे से रात 08:14 बजे तक रहेगा।
धनतेरस व्रत कथा | Dhanteras Vrat Katha in Hindi
एक बार यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण का हरण करते समय किसी पर दयाभाव भी आया है?, तो वे संकोच में पड़कर बोले- नहीं महाराज! यमराज ने उनसे दुबारा पूछा निर्भय करते हुए बोले संकोच मत करो तो दूतों ने डरते-डरते बताया कि एक बार एक ऐसी घटना घटी थी, जिससे हमारा हृदय कांप उठा था।
यमराज ने उत्सुकता पूर्वक दूतों से पूछा तो उन्होंने बताया कि – हंस नाम का राजा एक दिन शिकार करने के लिए गया तो राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही मर जाएगा। यह जानकर उस राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया।
एक दिन जब महाराजा हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी तो उस ब्रह्मचारी युवक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया। चौथा दिन पूरा होते ही वह राजकुमार मर गया। अपने पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलखकर रोने लगी। उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा। उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमारे आंसू नहीं रुक रहे थे। तभी एक यमदूत ने पूछा -क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है? यमराज ने इसके बारे में उपाय बताते हुए बोले- हां उपाय तो है। अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजन और दीपदान विधिपूर्वक करना चाहिए। जिस घर में यह पूजन होता है, वहां अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। कहते हैं कि तभी से धनतेरस के दिन यमराज के पूजन के पश्चात दीपदान करने की परंपरा प्रचलित हुई।
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धनतेरस पूजन विधि / Dhanteras Puja Vidhi in Hindi Language
इस दिन विधि पूर्वक देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा करना चाहिए। साथ ही दीपदान करते समय यह मंत्र बोलना चाहिए-
मृत्युना
पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
त्रयोदश्यां
दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।।
रात्रि में स्त्रियां इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं और जल, रोली, चावल, फूल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर यमराज का पूजन करती हैं। हल जूती मिट्टी को दूध में भिगोकर सेमर वृक्ष की डाली में लगाएं और उसको तीन बार अपने शरीर पर फेर कर कुंकुम का टीका लगाएं और दीप प्रज्जवलित करें। इस प्रकार यमराज की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है तथा परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। दीपदान का महत्व धर्मशास्त्रों में भी उल्लेखित है
कार्तिकस्यासिते
पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।
यमदीपं
बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।
अर्थात- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यमराज के निमित्त दीपदान करने से मृत्यु का भय समाप्त होता है।
भगवान धन्वन्तरि का भी होता है पूजन
कुबेर की पूजा:
धनतेरस पर धन के देवता, भगवान्
कुबेर को प्रसन्न कर धनवान बन सकते हैं। यदि कुबेर आप पर प्रसन्न हो गए तो आप के
जीवन में धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहेगी। कुबेर को प्रसन्न करना बेहद आसान है।
धन-सम्पति की प्राप्ति हेतु घर के पूजास्थल में एक दीया जलाएं। मंत्रोचार के
द्वारा आप कुबेर को प्रसन्न कर सकते हैं। इसके लिए जातक, कुबेर यंत्र के सामने विशेष मंत्रो का उच्चारण 108 बार करें। यह उपासना धनतेरस से लेकर दिवाली तक की जाती है। ऐसा
करने से जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता, दरिद्रता
का नाश होता है और व्यापार में वृद्धि होती है।
धनतेरस का महत्व | Importance of Dhanters in Hindi
धनतेरस पर बर्तन खरीदने का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय धनवंतरि हाथ में अमृत का कलश लेकर निकले थे। इस कलश के लिए देवताओं और दानवों में भारी युद्ध भी हुआ था। इस कलश में अमृत था और इसी से देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ। तभी से धनतेरस पर प्रतीक स्वरूप बर्तन खरीदने की परंपरा है। इस बर्तन की भी पूजा की जाती है और खुद व परिवार की बेहतर सेहत के लिए प्रार्थना की जाती है।