Poems on lal bahadur shastri in hindi – लाल बहादुर शास्त्री ( Lal Bahadur shastri ) भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. शास्त्री जी बहुत ही साधारण और सरल सुभाव के थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीब लोगों की सेवा में न्यौछावर कर दिया. शास्त्री जी का निधन 11 जनवरी 1966 को हो गया था. आज हम लाल बहादुर शास्त्री जी के ऊपर कविताएं poems on lal bahadur shastri in hindi लेकर आये हैं. उम्मीद करते हैं आपको lal bahadur shastri Pr Kavita पसंद आयेंगी. आप अपने स्ल में लाल बहादुर शास्त्री की जयंती व पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रमों में इन लाल वहादुर शास्त्री कविता का प्रयोग कर सकतेहैं.
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लाल बहादुर शास्त्री पर कविता- poems on lal bahadur shastri in hindi
दोस्तो यहां बहुत ही अच्छी poems on lal bahadur shastri in hindi में शेयर की हैं, उम्मीद करते हैं कि आपको यह कविता पसंद आयेगी.
पैदा हुआ उसी दिन,
जिस दिन
बापू ने था जन्म लिया
भारत-पाक
युद्ध में जिसने
तोड़ दिया
दुनिया का भ्रम।
एक रहा है
भारत सब दिन,
सदा रहेगा
एक।
युगों-युगों
से रहे हैं इसमें
भाषा-भाव
अनेक।
आस्था और
विश्वास अनेकों
होते हैं
मानव के।
लेकिन
मानवता मानव की
रही सदा ही
नेक।
कद से छोटा
था लेकिन था
कर्म से
बड़ा महान।
हो सकता है
कौन, गुनो वह
संस्कृति
की संतान।
कमला प्रसाद चौरसिया
Lal Bahadur shastri par kavita- लाल बहादुर शास्त्री पर कविता
जीवन के सूखे मरुथल में,
झेले ये झंझावात कई।
जितनी बाधा, कंटक आते,
उनसे वे पाते, शक्ति नई।
विश्वासी, धर्मनिष्ठ, कर्मठ,
निज देशप्रेम से, ओतप्रोत।
सामर्थ्य हिमालय से ऊंची,
मन में जलती थी, ज्ञान-जोत।
थे, कद से, छोटे से, दिखते,
थे, कोटि-कोटि जन के प्यारे।
थे, लाल बहादुर शास्त्री वे,
थे, इस धरती के रखवारे।
उनके ही दृढ़ अनुशासन से,
वह ‘पाक’ हिन्द से हारा था।
‘जय जवान’ और ‘जय किसान’
यह उनका ही तो नारा था।
गए ताशकंद में शांति हेतु,
चिर शांति वहीं पर प्राप्त हुई।
सोया है लाल बहादुर अब,
यह खबर वहीं से प्राप्त हुई।
साभार – बच्चों देश तुम्हारा
लाल बहादुर शास्त्री पर कविता – Lal Bahadur shastri poem in hindi
लालों में वह लाल बहादुर,
भारत माता
का वह प्यारा।
कष्ट अनेकों
सहकर जिसने,
निज जीवन
का रूप संवारा।
तपा तपा
श्रम की ज्वाला में,
उस साधक ने
अपना जीवन।
बना लिया
सच्चे अर्थों में,
निर्मल तथा
कांतिमय कुंदन।
सच्चरित्र
औ’ त्याग-मूर्ति
था,
नहीं चाहता
था आडम्बर।
निर्धनता
उसने देखी थी,
दया दिखाता
था निर्धन पर।
नहीं युद्ध
से घबराता था,
विश्व-शांति
का वह दीवाना।
इसी शांति
की बलवेदी पर,
उसे ज्ञात
था मर-मिट जाना।
-डा राणा प्रताप
सिंह गन्नौरी
साभार – मीठे बोल
दोस्तो मुझे उम्मीद है कि आपको poem on lal bahadur shastri in hindi लाल बहादुर शास्त्री पर कविता पसंद आयेगी. आप Lal Bahadur shastri par kavita को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं.