National Medical Commission Bill- 15 दिसम्बर, 2017 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक ( National Commisiion Bill) को स्वीकृति प्रदान कर दी थी। यह विधेयक संसद में शुक्रवार को पेश किया था। केन्द्र सरकार इसके जरिए भारतीय चिकित्सा परिषद ( MCI- Medical Council of India ) को समाप्त कर उसकी जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC- National Medical Commission ) बनाना चाहती है। हालांकि इस बिल को पार्लियामेंट में पेश होने को लेकर देशभर में डॉक्टरों में आक्रोश है।
क्या हैं मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया – What is Medical Council of India?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन देशभर के मेडिकल प्रोफएशनल्स की रिप्रेंजेटिव बॉडी है। देश का कोई भी रजिस्टर्ड डॉक्टर इसका चुनाव लड़ सकता हैं और अपना नेता चुनने के लिए वोट कर सकता है।
NMC Bill का उद्देश्य-
- एनएमसी बिल का उद्देश्य है कि देश में चिकित्सा शिक्षा(Medical education) की एक ऐसी व्यवस्था बनायी जाये जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो।
- प्रस्तावित आयोग की जिम्मेदारी होगी कि वह चिकित्सा शिक्षा के स्नातक और परा-स्नातक दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के चिकित्सक उपलब्ध करा पायें।
- NMC चिकित्सा विशेषज्ञों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि वे अपने Field के नवीनतम Medical Research को अपने काम में सम्मिलित करें और ऐसी Research में अपना योगदान दें।
- National Medical Commission समय-समय पर Medical institutions का मूल्यांकन करेगा।
- प्रस्तावित आयोग एक मेडिकल रजिस्टर के रख-रखाव की सुविधा प्रदान करेगा और मेडिकल सेवाओं के सभी पहलुओं पर नैतिक मानदंड को लागू करवाएगा।
- इस बिल में अल्टरनेटिव मेडिसिन (होम्योपैथी, आयुर्वेद, यूनानी) की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के लिए एक ब्रिज कोर्स का प्रप्रोजल है। इसे करने के बाद वे मॉडर्न मेडिसिन की प्रैक्टिस भी कर सकेंगे।
NMC का गठन –
नेशनल मेडिकल कमीशन आयोग में एक अध्यक्ष को मिलाकर कुल 25 सदस्य होंगे जिनका चयन कैबिनेट सचिव ( Cabinet Secretary ) की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी. इस आयोग में 12 पदेन सदस्य होंगे. इन पदेन सद्स्यों में देश के Leading medical institutions, तथा AIMS और ICMR के बॉर्डों के चार अध्यक्ष भी होंगे. आयोग में 12 पार्ट टाइम सदस्य व एक सदस्य सचिव भी होगा.
बिल का विरोध क्यों कर रहा आईएमए?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि अगर ये बिल पास हुआ तो इतिहास का काला दिन होगा. क्योंकि अगर ये क़ानून लागू हुआ तो इलाज महंगा होगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. आईएमए नए बिल के कई प्रावधानों के ख़िलाफ़ है. प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों की बज़ाय 60% सीटों की फीस तय करने का अधिकार मैनेजमेंट को दिया जाना है. एमबीबीएस के बाद भी प्रैक्टिस के लिए एक और परीक्षा देने को अनिवार्य बनाना जाना शामिल है. इसके साथ ही आईएमए के पूर्व प्रेसिडेंट केके अग्रवाल के मुताबिक, “इस बिल में ऐसे प्रोविजन्स हैं, जिससे आयुष डॉक्टर्स को भी मॉडर्न मेडिसिन प्रैक्टिस करने की परमिशन मिल जाएगी। जबकि इसके लिए कम से कम एमबीबीएस क्वालिफिकेशन होनी चाहिए। इससे नीम-हकीमी करने वाले भी डॉक्टर बन जाएंगे।” डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार इस बिल में प्राइवेट कॉलेजों को मनमाने तरीके से फीस वसूलने की छूट दी गई है।
Bahut hi badhiya jankri ko aapne share ki hain iskeliye Dhnyabad.