हाथ थामे रखना, दुनियाँ में भीड़ भारी हैं,
खों ना जाऊ कही मैं, ये जिम्मेदारी तुम्हारी हैं।
करीब आने की ख्वाहिशें तो बहुत थी मगर,
करीब आकर पता चला की मोहब्ब्त फासलों में है।
रोकना मेरी हसरत थी और जाना उसका शौक,
वो शौक पूरा कर गए, मेरी हसरतें तोड़ कर।
फांसला रख के भी क्या हासिल हुआ,
आज भी मैं उसका ही कहलाता हूँ।
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
मुझे भी अपनी जिद्द बना लो।
तुझे बर्बाद कर दूंगी, अभी भी लौट जा वापिस,
मोहब्बत नाम है मेरा, मुझे कातिल भी कहते हैं।
नफ़रत करते तो.. अहमियत बढ़ जाती उनकी,
मैंने.. माफ़ कर के उनको शर्मिंदा कर दिया।
इश्क़ का बीमार तो बड़ा खुशनसीब है,
यारो, की आशिक़ तो ये लाइलाज हे अच्छा है।
गुलों को मिल गई रंगत तुम्हारे सुर्ख गालों से,
सितारों ने चमक पाई तबस्सुम के उजालों से।
वो जिन्हें हमने सोंपी है दिल की सभी धडकनें,
वो अपना एक पल देने को हजार बार सोचते है।
आखिर किस कदर खत्म कर सकते है उनसे रिश्ता,
जिनको सिर्फ महसूस करने से हम दुनिया भूल जाते है।
ख़बर जहां मिलती है अपने होने की,
हम उस मंजिल पर भी खोए खोए हैं।
गुनाह इश्क़ अगर है तो ग़म नहीं,
वो आदमी ही क्या जो एक भी ख़ता न करे।
लो मैं आखों पे हाथ रखत हूँ,
तुम अचानक कहीं से आजाओ।
लगता है हम ही अकेले हैं समझदार,
हर बात हमें ही समझाई जा रही है।
निगाह-ए-इश्क़ का अजीब ही शौक देखा,
तुम ही को देखा और बेपनाह देखा।
बहुत ज़ोर से हँसे थे हम, बड़ी मुद्दतों के बाद,
आज फ़िर कहा किसी ने, मेरा ऐतबार कीजिये।
किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मेरा नाम,
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते।
लाख दिये जला के देख तु अपनी गली में,
रोशनी तो तब होगी जब हम आयेगे।