उसे न चाहने की आदत, उसे चाहने का जरिया बन गया,
सख्त था मैं लड़का, अब प्यार का दरिया बन गया।
जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में,
ये बात और है कि नजर तुम पर ही ठहर गई।
में रंग हुँ तेरे चेहरे का, जितना तू
खुश रहेगा उतना में जाऊंगा जाऊँ गा
हम अल्फाजो को ढूढते रह गए,
और वो आँखों से गज़ल कह गए।
हमें मोहब्बत है तुमसे खुशबू की तरह,
और खुशबू का कोई पैमाना नहीं होता।
तुम्हे हाथो से नहीं दिल से छुना चाहते हैं,
ताकि तुम ख्वाबों में नहीं मेरी रूह में आ सको।
रौशनी में कुछ कमी रह गई हो तो..
बता देना दिल आज भी हाजिर है जलने को।
ना दिल की चली ना आँखों की,
हम तो दीवाने बस तेरी मुस्कान के हो गए।
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें,
आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे।
ना चाहते हुए भी जब दिल मेरा छूते हो,
रूहानी मोहब्बत पर और यक़ीन आ जाता है।
किसी को प्यार करो तो इतना करो की..
बयां करने से पहले उसे भी तुमसे प्यार हो जाए।
मैं, मेरी तन्हाई, मेरा दर्द और तेरी यादें,
हर रात एक ही तकिये पर सोते हैं इकट्ठे होकर।
नाम देने से कौन से रिश्ते सँवर जाते हैं,
जहाँ रूह न बँधे दिल बिखर जाते हैं।
इत्तफ़ाक़ से नहीं मिले हम सब एक दूसरे से,
इस में थोड़ी बहुत साज़िश तो खुदा की भी रही होगी।